ओवरथिंकिंग के नुकसान

ओवरथिंकिंग करने से केवल मानसिक तनाव बढ़ता है समस्या का कोई निवारण नहीं होता है! ओवरथिंकिंग आपको उन बातो के बारें में भी सोचने पर मजबूर करती है जो वास्तविकता में सम्भव ही नहीं है। ओवरथिंकिंग के कई नुकसान हैं। यह स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं जिससे तनाव, हाइपर टेंशन और डिप्रेशन की समस्या होने लगती है। मन में विचारों का आना एक सामान्य बात है परन्तु ओवरथिंकर खुद को ज्यादा सोचने से नहीं रोक पाते हैं और कई तरह के विचार और धारणा उनके मन में निर्मित होने लगते हैं। बेवजह और ज्यादा सोचने से कोर्टिसोल हॉर्मोन रिलीज होता है जिस कारण मूड खराब रखता है और मानसिक तनाव, चिड़चिड़ाहट और मूड स्विंग काफी हद तक बड़ सकता है। किसी भी काम को करने से पहले या घटना के बाद उस पर विचार करना जरुरी है। बिना विचार करे आप कुछ नहीं कर सकते हैं पर यदि आप बार-बार उसके बारे में लम्बे समय तक सोचते रहते हैं तो इसे ओवरथिंकिंग कहते हैं। आज हम आपको बताने वाले हैं कुछ ऐसी बातें जो आपको हमेशा ध्यान रखने की जरूरत है।

एक ओवरथिंकर को हमेशा याद रखनी चाहिए ये 5 बातें!

ओवरथिंकिंग करने से प्रॉब्लम लगने लगती है बड़ी

ओवरथिंकिंग करना प्रॉब्लम का निवारण नहीं है, बल्कि ऐसा करने से प्रॉब्लम और बड़ी लगने लगती है। आप प्रॉब्लम के बारे में इतना ज्यादा सोचते हैं कि उसके समाधान की जगह उससे होने वाली हानियों पर ही आपका ध्यान ज्यादा जाने लगता है। इसीलिए ओवरथिंकिंग करने से प्रॉब्लम छोटे होते हुए भी काफी बड़ी लगने लगती है।

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चीजे एक्सेप्ट करना सीखें

बहुत सी बार एक ओवरथिंकर चीज़ों को एक्सेप्ट नहीं कर पाता है और चीज़ों को बदलने की कोशिश करता है, एक ओवरथिंकर को यह याद रखना चाहिए कि वह सब कुछ नियंत्रित नहीं कर सकता है। और ना ही हर बार उसकी इच्छा के अनुसार परिस्थितियाँ रहने वाली हैं। ओवरथिंकर की आदत होती है कि वह परेशानियों से घबरा जाता है, उससे बाहर आने की जगह वह यह सोचता है कि किसी भी प्रकार कोई और उसे इस समस्या से बाहर निकाल दे।

खुद पर भरोसा न करने की आदत

ज्यादा सोचने की वजह से आत्मविश्वास में कमी आ जाती है और खुद पर से भी भरोसा कम होने लगता है। ओवरथिंकिंग दिमाग में ऐसे कई थॉट्स को जन्म देती है जो हमें यह सोचने पर मजबूर कर सकते हैं कि मैं यह नहीं कर सकता, अगर मैं नहीं ये काम नहीं कर सका तो सब लोग मेरा मजाक बनाएंगे, सब लोग केवल मेरा ही मजाक बनाते हैं, मेरे घर वाले हमेशा मुझे ही बेइज्जत करते हैं, आदि।

शांत दिमाग न रखना

सोच-सोच कर दिमाग अशांत हो जाता है और उसमें किसी भी प्रकार का निर्णय लेने की क्षमता नहीं बचती है, यदि आप शांत मन से किसी समस्या का निवारण खोजने की कोशिश करेंगे तो अवश्य ही उसका समाधान मिल जाएगा। परन्तु यदि अशांत मन से आप कोई कार्य करेंगे तो उसके बिगड़ने की सम्भावना अधिक रहेगी।

सोचने से कुछ नहीं होगा करने से होगा

केवल सोचते रहने से कभी भी आप अपने सपने पूरे नहीं कर सकेंगे, जो व्यक्ति सोचने से ज्यादा करने में विश्वास रखता है वही अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर पाता है। केवल कुर्सी पर बैठकर सोचने से कार्य पूर्ण नहीं होते हैं केवल चिंता ही बढती है।इसिलए कहा गया है कि सोचने में समय व्यर्थ नहीं करना चाहिए, कार्य को करने पर ध्यान देना चाहिए।

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