what is psychology

साइकोलॉजी में व्यक्ति, पशु, पक्षी के व्यवहार के बारें में पढ़ाया जाता है तथा उनकी मानसिक परेशानियों, स्थितियों के बारें में जानकारियां एकत्रित की जाती है व उन पर शोध किये जाते हैं, मानसिक विकारों का निदान करने के लिए चिकित्सा का प्रयोग किया जाता है। इस क्षेत्र में व्यवहार, विचार, मानसिक बिमारियों का अध्ययन किया जाता है, आसान भाषा में कहा जाएँ तो साइकोलॉजी व्यवहार और मानसिक क्रियाओं का वैज्ञानिक अध्ययन है। साइकोलॉजी के माध्यम से मस्तिष्क की गतिविधियों पर ध्यान दिया जाता है तथा तनाव जैसी बीमारियों से बाहर लाने के उपायों को खौजा जाता है। वर्तमान समय में साइकोलॉजी बहुत ही विकसित हो चुकी है और डिप्रेशन, एंग्जायटी, अनेक प्रकार के डिसऑर्डर, फोबिया जैसी मानसिक बिमारियों के उपचार पर कार्य किये जा रहे हैं। वैज्ञानिक काफी हद तक इस तरह की मानसिक स्थितियों को समझ चुके हैं।

Psychology शब्द ग्रीक भाषा के Psyche तथा Logos से बना है जिसमे Psyche का अर्थ आत्मा या दिमाग होता है तथा Logos का मतलब अध्ययन करना है। साइकोलॉजी ने स्वास्थ्य , शिक्षा, व्यवसाय और कानून जैसे क्षेत्रो में अपना प्रभाव डाला है। साइकोलॉजी का उपयोग मनोवैज्ञानिक अस्पतालों में रोगियों की मदद करने के लिए, स्कूलों में सीखने की अक्षमता वाले छात्रों की मदद करने के लिए या कर्मचारियों के प्रदर्शन के सुधार के लिए, कानूनी क्षेत्रो में किया जा रहा है। साइकोलॉजी को कई क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। इनमें से प्रमुख क्षेत्रों के बारें में आपको आगे पढने के लिए मिल जाएगा।

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साइकोलॉजी के प्रमुख क्षेत्र

नैदानिक मनोविज्ञान (Clinical Psychology)

नैदानिक साइकोलॉजी मानसिक विकारों के निदान और उपचार से संबंधित है। नैदानिक मनोवैज्ञानिक व्यक्तियों, परिवारों और समूहों के साथ काम करते हैं और मनोवैज्ञानिक समाज के मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला का भी आकलन करते हैं। नैदानिक मनोविज्ञान में व्यक्तियों, जोड़ों (Couple), परिवारों और समूहों के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर कार्य किया जाता है। यह प्रमुख रूप से मानसिक रोग, अपराध, मानसिक दुर्बलता, व्यसन, आपराधिक व्यवहार जैसी समस्याओ के निदान के लिए उपयोगी है।

विकासात्मक मनोविज्ञान (Developmental Psychology)

विकासात्मक साइकोलॉजी का संबंध व्यक्तियों में उनके जीवन के दौरान होने वाले परिवर्तनों से है। इसमें शारीरिक और भावनात्मक परिवर्तन शामिल हैं, साथ ही यह भी शामिल हैं कि लोग जीवन के विभिन्न चरणों में कैसे विकसित होते हैं जैसे बच्चो में तथा बुजुर्गो में सोचने की क्षमता अलग-अलग होती है। हर उम्र में व्यक्ति की मानसिक क्षमताएँ, व्यवहार, आवश्यकताएँ भिन्न होती है और जीवन के इस विकास के चरण में मानसिक रूप से आने वाले परिवर्तनों का अध्ययन विकासात्मक मनोविज्ञान के क्षेत्र में किया जाता है। किशोरावस्था में मस्तिष्क का सबसे ज्यादा विकास होता है, यही वह उम्र होती है जब युवाओं में शारीरिक सम्बन्ध बनाने की इच्छा होती हैं, कई तरह के भावनात्मक परिवर्तन आते हैं, इन अवस्था में ही युवाओ में नशे की लत का खतरा बड़ जाता है। बड़ती जिम्मेदारियां और शरीर में आ रहें मानसिक तथा शरीरिक बदलाव का असर व्यवहार पर दिखने लगता है।

सामाजिक मनोविज्ञान – (Social Psychology)

मनुष्य परिस्थिति के अनुसार व्यवहार करता है तथा इस व्यवहार को समझने के लिए ही सामाजिक मनोविज्ञान का उपयोग किया जाता है। सामाजिक मनोविज्ञान आधुनिक होते युग से बदलता रहता है क्योंकि समय के साथ लोगों का सामजिक व्यवहार भी परिवर्तित होता है। समाज मनोविज्ञान वह क्षेत्र है जिसमे सामाजिक परिस्थिति में व्यक्ति के व्यवहार के कारणों को समझने की कोशिश की जाती है, सामाजिक साइकोलॉजी का संबंध समाज के दृष्टिकोण, समूह की गतिशीलता, सामाजिक प्रभाव और सभी लोगो का आपस में किस प्रकार का संबंध है इस विषय से है। इसके कारण सुखद सामाजिक जीवन की स्थापना की जा सकती है, स्वस्थ औद्योगिक क्षेत्र, भेदभाव मुक्त सामजिक समाज की स्थापना भी की जा सकती है। social psychology युद्ध, साम्प्रदायिक दंगो के कारणों को समझने में मददगार है और इन पर कार्य करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए सहायक है।

व्यक्तित्व मनोविज्ञान

व्यक्तित्व मनोविज्ञान लोगो के व्यक्तित्व से सम्बन्धित हैं, जिसमे कई तरह के अध्ययन शामिल हैं जैसे लोग एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न होते हैं, सभी लोगों में पाया जाने वाला समान व्यवहार क्या हैं? आदि। इस प्रकार के अध्ययन में मनोभावों को समझा जाता है। यह हमें यह जानने में मददगार होता है कि व्यक्ति किन कारको से प्रभावित होता है तथा वातावरण का उस के व्यक्तित्व पर किस प्रकार प्रभाव पड़ता है। व्यक्तित्व का निर्माण बचपन से ही प्रारम्भ हो जाता है तथा एक समय पर आ कर रुक जाता है, व्यक्ति के व्यक्तिव की पहचान बचपन में ही की जा सकती है क्योकि 10 से 12 साल की उम्र तक व्यक्तित्व का निर्माण हो जाता है। व्यक्तित्व मनोविज्ञान इसलिए जरुरी है क्योकि यह हमें व्यक्ति की मानसिक स्थिती और व्यवहार को समझने में मदद करता है।

न्यूरोसाइकोलॉजी

न्यूरोसाइकोलॉजी का संबंध मस्तिष्क की तंत्रिका तन्त्र से है। इसमें मस्तिष्क की क्षति व्यवहार को कैसे प्रभावित करती है और साथ ही व्यवहार में न्यूरोट्रांसमीटर और जैविक क्रियाओ की भूमिका का अध्ययन किया जाता है। तंत्रिका तंत्र, मस्तिष्क, अंग और लोगों के व्यवहार के बीच संबंध का अध्ययन भी किया जाता है। दिमाग में किसी भी प्रकार की अक्षमता, विकार या बीमारी का असर किस प्रकार एक व्यक्ति के जीवन और व्यवहार को प्रभावित कर सकता है इसके बारें में विस्तृत जानकारी न्यूरोसाइकोलॉजी में पढने के लिए मिल जाती है। जिव जंतुओं और मनुष्यों दोनों पर इस क्षेत्र में अध्ययन किया जाता है। जीवों तथा मनुष्यों का मस्तिष्क अलग-अलग प्रकार से कार्य करता है इसीलिए इस बात का ध्यान रखना जरुरी है कि इस दोनों को अलग-अलग रूप से समझा जाएँ और हो सकें तो इन मेसे केवल एक क्षेत्र का ही अध्ययन किया जाएं।

फोरेंसिक मनोविज्ञान

फोरेंसिक साइकोलॉजी का संबंध साइकोलॉजी और कानूनी प्रणाली से सम्बन्धित है। इसमें आपराधिक गतिविधियों, गवाही देना, आदि गतिविधियों को शामिल रखा गया हैं। फोरेंसिक मनोवैज्ञानिक वकीलों, विशेषज्ञों तथा न्यायाधीशों के साथ मिलकर काम करते हैं। फोरेंसिक मनोविज्ञान उन अपराधियों के लिए भी जरुरी है जो जेल में रह रहें हैं तथा किसी प्रकार के मानसिक विकार से गुजर रहें हैं। उनकी मानसिक स्थिति को सामान्य करने तथा उनके इस विकार का उपचार करने के लिए भी फोरेंसिक मनोविज्ञान का उपयोग किया जाता है। अपराधो के कारणों को समझने तथा उन्हें कम करने के लिए भी फोरेंसिक मनोविज्ञान जरुरी है, यह हमें समझने में मदद करता है कि कोई भी व्यक्ति अपराध क्यों करता है? तथा किसी भी प्रकार के कानून को तोड़ने में उसे तरह प्रकार का अनुभव होता है? आदि।

शैक्षिक मनोविज्ञान (Educational psychology)

शैक्षिक साइकोलॉजी का संबंध व्यक्ति के शैक्षिक विकास से हैं। इसमें इंसानों के सिखने के तरीके, याद रखने की क्षमता, तथा शिक्षा का मानव के मस्तिष्क पर किस तरह प्रभाव पढ़ता है यह शामिल है। शैक्षिक मनोविज्ञान के अंतर्गत यह समझा जाता है कि किस तरह भाषा और लेखन को सिखा जाता है तथा मनुष्य किस तरह बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक सीखता रहता है। साथ ही यह विज्ञान मानव प्रतिक्रियाओं के शिक्षण और सीखने को प्रभावित वैज्ञानिक दृष्टि से व्युत्पन्न सिद्धांतों के अनुप्रयोग का प्रतिनिधित्व करता है। यह विज्ञानिको को सीखने, सिखाने के सिद्धांतों और विधियों से अवगत करवाता है। इस विज्ञान का प्रयोग कर शिक्षा के क्षेत्र को और भी विकसित किया जा सकता है तथा क्रांतिकारी परिवर्तन लाये जा सकते हैं।

स्वास्थ्य मनोविज्ञान (Health Psychology)

स्वास्थ्य साइकोलॉजी में मानसिक स्वास्थ्य का शारीरिक स्वास्थ्य पर किस प्रकार का प्रभाव होता इस विषय का अध्ययन किया जाता है। जिसमे मनुष्यों के आहार, व्यायाम वातावरण का मानसिक स्थिति पर प्रभाव पड़ना शामिल है तथा किसी भी स्थिति में इनका मानव शरीर पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े और निदान किया जा सके इन बातों का अध्ययन किया जाता है। एक स्वास्थ्य मनोवैज्ञानिक का कार्य होता है कि वह स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के साथ-साथ बीमारी और बीमारी की रोकथाम के लिए काम करें। स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले मनोवैज्ञानिक कारकों को समझ कर उन्हें सही तरह से लागु करने का कार्य भी इस शाखा में किया जाता है।

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