स्ट्रेस मैनेजमेंट क्या होता है

तनाव या स्ट्रेस शब्द सुनते ही हर किसी के दिमाग में यही आता है कि उसे भी किसी न किसी प्रकार का तनाव जरुर है। पर ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए क्योंकि वर्तमान समय में हर व्यक्ति किसी न किसी प्रकार की समस्या से जूझ रहा है! यह तनाव का स्तर हर किसी में अलग-अलग होता है। तनाव के कई कारण होते हैं जो अनेक कारकों पर निर्भर करते हैं। जैसे आर्थिक संकट, पारिवारिक विवाद, समय का अभाव, ज्यादा काम, नींद की कमी, शारीरिक अयोग्यता, किसी प्रकार की बीमारी, वातावरण आदि।

स्ट्रेस मैनेजमेंट क्या होता है?

What is Stress Management in Hindi: तनाव का स्तर समय के साथ बढ़ सकता है। इस वजह से व्यक्ति अत्यधिक उदास रहने लगता है, अकेला रहना पसंद करता है, छोटी-छोटी बातों पर ही नाराज़ हो सकता है। मानसिक कार्यप्रणाली गड़बड़ होने पर एड्रेनालिन तथा नॉन एड्रेनालिन द्रव्य प्रवाहित होने लगता है जिस कारण व्यक्ति डिप्रेशन में जा सकता है। जीवनशैली में बदलाव करके मानसिक तनाव को कम किया जा सकता है एवं इसके दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है। तनाव को विभिन्न प्रकार के तरीकों से संतुलित करना/कम करना ही स्ट्रेस मैनेजमेंट कहलाता है।

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स्ट्रेस को मैनेज करना बहुत जरुरी है, अन्यथा यह आपके जीवन को कई प्रकार की कठिनाईयों में डाल सकता है। मानसिक बीमारियाँ शारीरिक रूप से भी क्षति पहुंचाती हैं। यदि कोई व्यक्ति मानसिक तनाव से छुटकारा पाना चाहता है तो उसे स्ट्रेस मैनेजमेंट के बारे में पता होना चाहिए कि स्ट्रेस मैनेज किस प्रकार किया जाता है? तथा किन परिस्थितियों में किस प्रकार के निर्णय आपको मानसिक तनाव से बचा कर रख सकते हैं।

तनाव प्रबंधन कैसे करें? How To Manage Stress?

तनाव से बचने के लिए व्यक्ति को स्ट्रेस मैनेजमेंट करने की जरूरत इसलिए होती है क्योंकि यह मानसिक तनाव भविष्य में जाकर मानसिक विकारों में परिवर्तित हो सकता है और फिर व्यक्ति का जीवन पूरी तरह से प्रभावित हो जाता है, उसके जीवन से ख़ुशी पूरी तरह से खत्म सी हो जाती है। इसलिए वक़्त रहते स्ट्रेस मैनेजमेंट पर ध्यान देने की आवश्यकता है। आप इसके लिए निचे दिए हुए उपायों को अपना सकते हैं।

सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं

समस्याओं का आना आम बात है। आप सबकुछ नियंत्रित नही कर सकते हैं! कुछ परिस्थितियां खुद-ब-खुद निर्मित होती हैं, उनके लिए कोई उत्तरदायी नहीं होता है। इसलिए परिस्थिति से घबराना तथा तनाव में चले जाना उचित नहीं है। आपको सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ उस परिस्थिति से बाहर आने के उपायों पर ध्यान देना चाहिए नाकि हताश होना चाहिए।

बहुत से लोग उपाय पर ध्यान नही देते हैं केवल बातें करते रहते हैं जैसे “ऐसा मेरे साथ ही क्यों होता हैं”, “में कुछ नही कर सकता”, “इस समस्या का कोई निवारण नही है”, “सब कुछ समय पर छोड़ देना चाहिए” आदि। लेकिन व्यक्ति को नकारात्मकता को पूरी तरह से परे रख कर उपायों पर ध्यान देना चाहिए ऐसा करना ही उसे तनाव से बचा सकता है। तो समस्या को छोडो और समाधान की तरफ दोड़ो। वो इंग्लिश में कहते हैं न, “लुक फॉर दी सोलूशन्स नॉट प्रॉब्लम्स!”

घटनाओं को स्वीकार करें

हर व्यक्ति को जीवन में घटित घटनाओं को स्वीकार करने की क्षमता रखनी चाहिए। बहाने बनाने, टालने, दूसरों को जिम्मेदार ठहराने की आदत आपको तनाव से बाहर नहीं आने देती है। यदि व्यक्ति घटनाओं को स्वीकार करेगा तो ही उस समस्या से बाहर आने के प्रयासों पर ध्यान दे सकेगा। परिस्थिति को अस्वीकार करने से तनाव के स्तर में वृद्धि हो सकती है। इसीलिए परेशानी को स्वीकार कर उससे लड़ने की कोशिश करना चाहिए ना कि बहाने बना कर बैठ जाना चाहिए। टालने से समस्याएँ बढ़ती हैं, उनका कोई निवारण नही होता है जिस कारण व्यक्ति को तनाव के साथ अधिक समय बिताना पड़ सकता है।

मैडिटेशन और एक्सरसाइज करें

तनाव के लिए कोर्टिसोल हार्मोन जिम्मेदार है, मस्तिष्क के द्वारा कोर्टिसोल का स्त्राव शरीर में तनाव के स्तर को बढ़ा देता है। इससे बचने के लिए मैडिटेशन और एक्सरसाइज पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है। मैडिटेशन और एक्सरसाइज करने से हाइपोथैलेमस कॉर्टिकोट्रोपिन-रिलीजिंग हार्मोन रिलीज होता है जिससे तनाव का स्तर काफी हद तक कम हो जाता है। इसीलिए स्ट्रेस मैनेज करने के लिए मैडिटेशन और एक्सरसाइज को प्रमुख माना गया है।

सकारात्मक सोच वाले लोगों के साथ समय बिताएं

व्यक्ति पर उसके साथ रह रहे लोगों की सोच का गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए हमें तनाव के समय सकारात्मक सोच वाले लोगों के साथ समय बिताना चाहिए। जैसे कुछ दोस्त जो हर समय सकारात्मक रहते हैं और आपका साथ नहीं छोड़ते हैं या फिर परिवार का कोई ऐसा सदस्य जो बुरे समय में आपका साथ देता है तथा हर परिस्थिति से निपटने के लिए सकारात्मक उपाय साझा करता है। सकारात्मक लोगों की पहचान यह है कि वे जल्दी हताश नही होते हैं तथा साथ वाले को कभी भी नीचा नही दिखाते हैं, तथा उसकी समस्या को अपनी मान कर उसका निवारण करने की कोशिश करते हैं। लेकिन हाँ, टॉक्सिक पॉजिटिविटी से जरूर दूर रहिये!

पसंदीदा काम में समय बिताएं

यदि कोई व्यक्ति तनाव का अनुभव कर रहा है तो उसे उन कामो में समय बिताना चाहिए जिसमें उसकी रुचि है। यह काम पेंटिंग करना, साफ़ सफाई करना, फिल्मे देखना, गाने सुनना आदि हो सकती है। ऐसा करने से शरीर में सेरोटोनिन, डोर्फिन हॉर्मोन आदि हॉर्मोन रिलीज होते हैं। जो आपको आनंद तथा शांति का अनुभव करवाते हैं। विशेषज्ञों के पास तनाव के स्तर को जांचने के उपकरण मौजद हैं जिसके द्वारा उन्होंने शोध में पाया कि जो लोग अपनी पसंद के कार्यो में समय व्यतीत करते हैं वो औरों की तुलना में कम तनाव में रहते हैं।

विशेषज्ञ की सलाह लें

हर व्यक्ति की समस्या अलग-अलग होती है और स्ट्रेस मैनेज करने का तरीका भी अलग-अलग हो सकता है। यदि आप भरपूर प्रयास कर चुके हैं फिर भी समस्या का समाधान नहीं मिल रहा तो आप किसी विशेषज्ञ की सलाह ले सकते हैं। किसी अच्छे साइकोलोजिस्ट से सलाह लेने में कोई हर्ज़ नहीं है न ही आपको ये सोचना है कि आप किसी साइकोलोजिस्ट के पास गए तो दुनिया वाले क्या कहेंगे! यह आपका जीवन है, इसके लिए आपको स्वयं को कदम उठाना होंगे।

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