toxic positivity

सकारात्मकता (पॉजिटिविटी) हमारे लिए बहुत आवश्यक है। हर विषम परिस्थिति में संयम बनाए रखना, अच्छे विचारों से स्वयं को परिस्थिति से लड़ने के लिए प्रेरित करना ही सकारात्मकता कहलाती है। लेकिन हमारे शास्त्रों में भी कहा गया है, “अति सर्वत्र वर्जयेत” यानि किसी भी चीज की अति अच्छी नहीं होती। फिर वो सकारात्मक सोचना यानि पॉजिटिविटी ही क्यों ना हो? आज हम चर्चा करेंगे इसी अति की! जी हाँ आज हम बात करने वाले हैं टॉक्सिक पॉजिटिविटी ( Toxic Positivity ) के बारे में! आखिर ये है क्या, इसके लक्षण क्या होते हैं और ये किस तरह से मेंटल हेल्थ को खराब कर सकती है?

टॉक्सिक पॉजिटिविटी क्या है?

Toxic Positivity Meaning in Hindi: टॉक्सिक पॉजिटिविटी एक ऐसा विश्वास है जिसमें लोग यह मान बैठते हैं कि परिस्थिति चाहे कितनी भी गंभीर, विकट या असहनीय ही क्यों न हो, सकारात्मकता बनाये रखनी है! यह एक ऐसी स्थिति को बढ़ावा देना है जब किसी व्यक्ति के साथ कुछ बेहद बुरा हुआ हो और आप उनकी उस स्थिति को समझने की बजाए उन्हें कह दे कि ‘सब ठीक हो जाएगा ‘ या ‘ जो होता है अच्छे के लिए ही होता है ‘। या फिर इसके विपरीत कोई आपसे ऐसी स्थिति में पॉजिटिव रहने को कह दे जिसमें पॉजिटिव रहना संभव ही नहीं हो।

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ऐसे में जब व्यक्ति बुरे दौर और मुश्किलों से गुज़र रहा है, अपने साथ हुई घटना को लेकर परेशान या दुखी हो रहा है, तब आपके द्वारा यह सब कह देना उसकी भावनाओं को नकार कर देता है। उसे यह एहसास होता है कि उसकी भावनात्मक प्रतिक्रिया शायद गलत है। उसका दुख कोई समझ नहीं पा रहा और वो भविष्य में अपनी परेशानियों और मुश्किलों को किसी से बाटने में कतराने लगता है। इसे हम कुछ उदाहरणों के साथ आपको समझाने का प्रयास करते हैं।

टॉक्सिक पॉजिटिविटी के कुछ उदाहरण

  • मान लीजिये किसी व्यक्ति को व्यापार में बहुत ज्यादा नुकसान हो गया है और आप उससे मिलें और कहें कि “देखो भाई जो होता है अच्छे के लिए होता है, तुम खुद पर भरोसा रखो” तो यह एक प्रकार की टॉक्सिक पॉजिटिविटी है। इससे सामने वाले को अच्छा महसूस नहीं होगा बल्कि उसे दुःख होगा। इसके बजाए आपको उसे सांत्वना देनी चाहिए और उसके दर्द को बांटने का प्रयास करना चाहिए।
  • यदि किसी का पार्टनर उसे छोड़कर चला गया है और आप उसे कहें की “भाई कोई बात नहीं, इसका पॉजिटिव साइड देख! अब तुझे दूसरी शादी करने को मिलेगी!” तो ये भी सामने वाले की मानसिक स्थिति पर एक बुरा प्रभाव डालेगा और उसे और दुखी कर देगा।

क्या हैं टॉक्सिक पॉजिटिविटी के लक्षण?

जैसे हर सिक्के के दो पहलू होते हैं वैसे ही टॉक्सिक पॉजिटिविटी के भी दो पहलू या साइड्स हैं एक है टॉक्सिक पॉजिटिविटी फ़ैलाने या देने वाला और दूसरे उसे प्राप्त करने वाला।

यदि आपके स्वभाव में टॉक्सिक पॉजिटिविटी है तो कुछ ऐसे लक्षण होंगे –

  • समस्याओं का सामना करने की बजाए उन्हें नकारते हैं या उनसे दूर भागते हैं।
  • अपनी असली भावनाओं को लोगों से छुपाते हैं और लोगों के सामने अपनी पॉजिटिव छवि दिखाते हैं।
  • लोगों की भावनाओं को नकारते हैं या उन्हें ऐसा बताते हैं कि उनकी भावनाएं कल्पना मात्र हैं, केवल ओवर रिएक्शन है!
  • यदि किसी का रवैया सकारात्मक न हो, तो ऐसे लोगों को शर्मिंदा करने का प्रयास करते हैं या उन्हें सकारात्मक होने के लिए फाॅर्स करते हैं।

जब आप पर कोई टॉक्सिक पॉजिटिविटी थोपता है –

जब आप पर कोई अपनी टॉक्सिक पॉजिटिविटी थोपता है तो कुछ इस प्रकार के लक्षण आपमें दिखाई देंगे –

  • दुखी होने के लिए खुद ही शर्मिंदा, गुस्सा या निराश महसूस करते हैं।
  • उदासीन होते हुए भी, दर्द भरे इमोशंस को छुपाने क प्रयास करते हैं।
  • अपनी भावनाएं दूसरों के सामने प्रकट नहीं कर पाते क्योंकि आप यह सोचते हैं कि लोग समझेंगे आप फालतू ही ओवर रियेक्ट कर रहे हैं।

टॉक्सिक पॉजिटिविटी कैसे करती है मेंटल हेल्थ को खराब?

टॉक्सिक पॉजिटिविटी लोगों को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकती है। यदि आप किसी बहुत ही विकट समय में किसी व्यक्ति को सहायता करने या दर्द बांटने की जगह पॉजिटिव रहने की सलाह देते हैं तो आप उसकी भावनाओं को नकारते हैं। या फिर इसके विपरीत कोई व्यक्ति आपके साथ ऐसा करे तो वह आपकी भावनाओं को नकारता या ठेस पहुंचाता है। आईये जानें ये किस तरह से मेंटल हेल्थ को खराब कर सकती है?

शर्मिंदगी का एहसास

किसी बुरे या मुश्किल समय में यदि कोई किसी को कहे कि दुखी होने की कोई बात नहीं है! ये तो होता रहता है। तो ये उन्हें शर्मिंदगी का एहसास करवाता है, उन्हें लगता है उनके इमोशन सही नहीं है! वे ओवर रियेक्ट कर रहे हैं।

भावनाओं को नकारना

ऐसे में सामने वाला व्यक्ति इन बातों को सुनकर अपनी भावनाओं को नकारने और दबाने की कोशिश करता है। दुख, दर्द, पीड़ा, उदास होना इन सबसे दूर रहता है और बस ये साबित करने में लग जाता है कि वह इमोशनली स्ट्रॉन्ग है।

ग्रोथ को रोकती है

व्यक्ति मुश्किलों का सामना करने की बजाये उन्हें नकारने में लग जाता है जिससे बाद में वह किसी समस्या का सामना करने में असमर्थ सा हो जाता है। इस प्रकार टॉक्सिक पॉजिटिविटी ग्रोथ की रोकती है।

टॉक्सिक पॉजिटिविटी से कैसे बचा जाए?

जिस तरह हर समस्या का समाधान है वैसे ही टॉक्सिक पॉजिटिविटी से भी लड़ा जा सकता है। इसके लिए आपको निचे दी हुई बातों का ध्यान रखना होगा –

यदि आपके स्वभाव में टॉक्सिक पॉजिटिविटी है तो आप इससे कुछ इस प्रकार बच सकते हैं –

हम यदि सरल शब्दों में समझें, तो बस इतनी सी बात है कि हमें यह बात स्वीकारनी होगी कि “कोशिश करने वालो की भी हार हो सकती है।” यह जरूरी नहीं कि हम हर जगह सफल ही हों? किसी भी स्थिति में हारने या जीतने की बराबर संभावना होती है। अगर जीतने पर खुशी मनाना ठीक है, तो हारने पर दुखी होने से आपत्ति क्या है? साथ ही हमें हर परिस्थिति को स्वीकारना सीखना चाहिए और अपने इमोशन को कंट्रोल करने की जगह, उन्हें महसूस कर उन्हें सही दिशा देना चाहिए।

यदि किसी व्यक्ति के साथ कुछ बुरा हुआ है तो आप उसे पॉजिटिव रहना सिखाने के पहले उसके दर्द को समझिये, उसकी समस्या को समझिये और हो सके तो उसके दर्द को बाँटिये। हर परिस्थिति में पॉजिटिव रहना संभव नहीं है। सुख और दुःख एक दूसरे के पूरक हैं और जीवन में यदि सुख है तो दुःख भी आएगा ही, परिस्थिति को अपनाना सीखिए और दूसरों को सिखाइये।

यदि आप पर कोई टॉक्सिक पॉजिटिविटी थोप रहा है तो इससे ऐसे बचें –

  • यदि आप किसी विकट परिस्थिति से गुजर रहे हैं और कोई आप पर अपनी टॉक्सिक पॉजिटिविटी थोप रहा है, तो अपनी भावनाओं को कुचलने की कोशिश मत करिये और न ही ये सोचिये कि आप ओवर रियेक्ट कर रहे हैं। आपको जो महसूस हो रहा है उसे महसूस करना भी जरुरी है। सेल्फ केयर पर ध्यान दीजिये।
  • हर बार पॉजिटिव रहना ही जरुरी नहीं। अपनी भावनाओं को समझिये, हर बार जीत ही नहीं होगी! यदि हार मिली है तो थोड़ा दुखी होने में कोई हर्ज़ नहीं है। इससे सबक लीजिये और आगे बढ़ने का प्रयास करिये।
  • अपनी भावनाओं को शब्दों में बदलकर उसे सामने वाले को बताइये ताकि शायद वो भी आपकी बात को समझे और आपसे आपका दुःख बांटे।
  • आप क्यों इस तरह से दुखी या मायूस महसूस कर रहे हैं उसके पीछे का कारण पता लगाइये और यदि कोई समाधान है तो उस पर कार्य करिये। समस्या से भागिए मत! न ही किसी की फेक पॉजिटिविटी को अपने ऊपर हावी होने दीजिये।
  • अगर आप सोशल मीडिया पर ऐसे पेज फॉलो करते हैं जो हमेशा मोटिवेशन की ही बात करते हैं, तो भी आपको यह जरुरत है कि सबसे पहले आप अपनी भावनाओं को समझें और प्रयास करें स्वयं की समस्याओं पर काम करने का! मोटिवेशनल पोस्ट्स पढ़ कर आपको शर्मिंदा होने की कोई आवश्यकता नहीं है। यदि आपको सोशल मीडिया से भी टॉक्सिक पॉजिटिविटी मिल रही है तो अपना सोशल मीडिया अकाउंट चलाना कम कीजिये।

निष्कर्ष:

जीवन में सकारात्मक रहना बहुत जरुरी है लेकिन जब यह पॉजिटिविटी ही आप पर बुरा प्रभाव डालने लगे, तो आप स्वयं के या किसी और के विकास में बाधा बन जाते हैं। इसलिए यह जरुरी है कि टॉक्सिक पॉजिटिविटी के लक्षणों की पहचान करें और उनसे लड़ें, आगे बढ़ें और दूसरों की भी मदद करें।

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