उम्र के साथ कई बिअरियां शरीर को घेर लेती है जिसमे मानसिक बीमारियाँ भी शामिल है। ऐसी ही एक बीमाररी है जो अधिकतर लोगों को बुढ़ापे में परेशान करती है और व्यक्ति को इस तरह तरह से प्रभावित कर सकत है कि व्यक्ति की मौत तक हो सकती है, इस बीमारी का नाम है डिमेंशिया (मनोभ्रंश)। इसके शुरुवाती लक्षण इतने गम्भीर नहीं होते हैं पर निदान पर ध्यान न दिया जाएँ तो यह जीवन को नष्ट कर देती है।
डिमेंशिया क्या है?
डिमेंशिया वो स्थिति में जिसमें व्यक्ति की स्मृति प्रभावित होती है और इसकी याददाश्त कमजोर हो जाती है। व्यक्ति को आसान और प्रतिदिन किये जाने वाले कार्यो को करने में भी काफी समस्याएँ आती है। डिमेंशिया में व्यक्ति स्मृति हानि का सामना करता है और उसे मस्तिष्क से सम्बन्धित कई कार्य जैसे निर्णय लेने, तारीख स्थान, काम याद नहीं रहते हैं। डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति कई बार यह तक भूल जाता है कि वह अभी किस शहर में हैं, अभी कोनसा महीना चल रहा है और उसका स्वभाव भी काफी बदल जाता है। यह बीमारी उम्र बढ़ने के साथ होने लगती है और मस्तिष्क विकारों के कारण या किसी तरह की कोशिका में नुकसान होने पर डिमेंशिया हो जाता है।
यहां क्लिक कर सुकूनमंत्रा के WhatsApp Channel से जुड़िये।डिमेंशिया के लक्षण
डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्तियों में अलग-अलग लक्ष्ण दिखाई दे सकते हैं और इसके अलग-अलग चरण होते हैं और इसके आधार पर लक्षण और गंभीर होने लगते हैं। डिमेंशिया के शुरुवाती लक्षण में घबराहट, चिंता, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, असामान्य व्यवहार, अवसाद होते हैं जिसके बाद उम्र के साथ लक्षण गंभीर होने लगते हैं जैसे स्मरण शक्ति कमजोर हो जाना, कथन को बार-बार दोहराना, निर्णय लेने में समस्या आना, बोलने में दिक्कत होना, वस्तुओं को गलत जगहों पर रखना, पैसों का प्रबन्धक करने में समस्या आना, वाहन चलाने में दिक्कत होना आदि लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
डिमेंशिया की बीमारी इतनी अधिक गंभीर हो सकती है कि व्यक्ति को शौचालय जाने, नहाने में दिक्कत, कपड़े बदलने में समस्या होना, बोलने लिखने में दिक्कत होना या गलत शब्दों का उपयोग करना, भ्रम होने जैसी समस्याएँ होने लगती है और व्यक्ति दुसरे व्यक्ति पर आश्रित हो सकता है। कई लोगों में देखा गया है कि वह साधारण सा काम भी नहीं कर पाते हैं और नहीं खाना खा पाते हैं और न चल पाते हैं।
डिमेंशिया का कारण
डिमेंशिया उम्र बढ़ने के बाद होने वाला रोग है और 45 की उम्र के बाद 100 मेसे 2 लोगों को डिमेंशिया हो ही जाता है तथा 65 की उम्र के बाद हर 5 मेसे 1 व्यक्ति को डिमेंशिया हो सकता है। इस बिमारी के होने के कई कारण हो सकते हैं जिसमें मेडिकल हिस्ट्री, दवाओं का असर, बढ़ती उम्र, अल्जाइमर डिजीज और पार्किंसंस डिजीज, अनुवांशिक, मस्तिष्क चोट, स्ट्रोक आदि शामिल हैं। यह बीमारी ज्यादा उम्र के लोगों में पायी जाती है जिस कारण कुल मौत का सांतवा सबसे बड़ा कारण डिमेंशिया ही है। खराब आहार, शराब, डिहाइड्रेशन, डिप्रेशन, मस्तिष्क में ट्यूमर आदि के कारण भी डिमेंशिया हो सकता है।
डिमेंशिया के प्रकार
डिमेंशिया कई तरह के होते हैं और कई बार एक व्यक्ति में एक से अधिक तरह के डिमेंशिया पाए जा सकते हैं। डिमेंशिया को मनोभ्रंश कहा जाता है और जिस व्यक्ति में एक से अधिक मनोभ्रंश होते हैं उसे ‘मिश्रित मनोभ्रंश’ (मिक्सिड डिमेंशिया) कहते हैं।
- अलज़ाइमर रोग
- वैस्कुलर मनोभ्रंश
- लेवी बॉडीज़ मनोभ्रंश
- फ़्रंटो-टेंपोरल डिमेंशिया
- लिंबिक-प्रीडॉमिनेंट एज-रिलेटिड टीडीपी-43 एन्सेफ़ैलोपैथी
डिमेंशिया से निदान पाने के तरीके
डिमेंशिया को होने पर इसे पूर्ण रूप से खत्म नहीं किया जा सकता है क्योंकि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। पर कुछ दवाईयों से और बातों का ध्यान रख कर इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है। इस बीमारी में मस्तिष्क की कोशिकाएं नष्ट होती जाती है पर दवाईयों के द्वारा इसे धीमा किया जा सकता है, कोशिकाओं के नष्ट होते जाने का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है। डिमेंशिया के लक्षणों को कम करने के लिए आपको अपनी दिनचर्या में बहुत से बदलाव करना होंगे।
- नशे से दूर रहना होगा खास कर सिगरेट आदि से।
- अन्तुलित आहार लेना होगा।
- व्यायाम करना होगा।
- सकारात्मक विचार रखने होंगे।
- आप ग्रीन टी और रेड वाइन ले सकते हैं।
- लोगों से मिलते जुलते रहना।
- दिमाग को वयस्त रखना होगा।
- दिमाग सम्बन्धित खेल में हिस्सा लेना।
यह भी पढियें: