accept these hard truths for self growth

Accept These Hard Truths for Self Growth: मानव जीवन इतना आसान नहीं है, आपको हर कदम पर नयी चुनौतियों का सामना करना है और इन्हीं चुनौतियों से लड़कर आप अपने जीवन को सार्थक बनाते हैं। ये बात पता तो सबको है लेकिन कई लोग ऐसे हैं जो इस पर अमल नहीं कर पाते, न ही वे अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलना चाहते हैं। यदि आप भी उन्हीं लोगों में से एक हैं, तो आपको इन 5 बातों पर जरूर गौर करना चाहिए और अगर आपने इन्हें अपना लिया तो आप खुद को सशक्त बना लेंगे।

लोग आपका दिमाग नहीं पढ़ सकते!

कई लोग दूसरों से अपेक्षा करते हैं कि वे उनके लिए ये करे, वो करे, लेकिन कभी भी आगे से जाकर उनको बताते नहीं हैं कि मुझे आपसे क्या चाहिए…!

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उदाहरण के लिए: आपका पार्टनर आपके बर्थडे पर हमेशा आपके लिए कोई न कोई गिफ्ट जरूर लेकर आता है। ऐसे में आप सोचते हैं कि इस बार वह आपको बाहर घुमाने लेकर जाए या फिर आपके लिए कोई साड़ी लेकर आये। लेकिन वह तो आपके लिए कुछ और ही ले आता है या अन्य कोई प्लान बना लेता है! अब शायद आपको ये पसंद न आये, तो ऐसे में आप दोनों का ही मूड खराब होगा!

इसके लिए क्या जरुरी है? आप खुद से उन्हें कह सकते हैं कि इस बार आप मेरे लिए एक साड़ी लेकर आईयेगा या मुझे घुमाने लेकर जाईये। हो सकता है आपकी विश पूरी हो जाये और बर्थडे और भी बेहतरीन बन जाए?

ग्रोथ के लिए थोड़ा डिस्कम्फर्ट है जरूरी!

जब तक आप अपने कम्फर्ट जोन से बाहर नहीं निकलेंगे, तब तक आप उस मंजिल से दूर रहेंगे जिसे आप हासिल कर सकते हैं। आपको थोड़े समय के लिए डिस्कम्फर्ट जरूर लगेगा, लेकिन यही आपको आपकी सही क्षमता को पूरी तरह से अनलॉक करने में मदद करेगा।

उदाहरण के लिए: सुबह की प्यारी नींद को छोड़कर जब तक आप वर्कआउट करना शुरू नहीं करेंगे, तब तक आप स्वस्थ और तंदरुस्त नहीं हो सकेंगे। या फिर जब तक आप थोड़ा सा और एक्स्ट्रा काम नहीं करेंगे तब तक आप एक्स्ट्रा इनकम भी नहीं कमा पाएंगे।

तो थोड़ा सा डिस्कम्फर्ट का मजा भी लीजिये जनाब और निकल पड़िये अपनी मंज़िल की ओर…

अलग आउटकम चाहिए तो कुछ तो हटके करना पड़ेगा…

बदलाव ही प्रकृति का नियम है और जब तक आप अपने पुराने तौर तरीकों का त्याग नहीं कर देते, तब तक आप उस “एक्स्ट्रा” से दूर रहते हैं जिसकी चाहत आप रखते हैं।

उदाहरण के लिए: चौपाटी पर 20 पानीपुरी की दुकानें हैं और अगर कोई नया पानीपुरी वाला अपनी दूकान वहाँ स्थापित करना चाहता है तो उसे कुछ तो हटकर करना ही पड़ेगा! जैसे कि वह उनसे अलग फ्लेवर में पानीपुरी बेच सकता है या फिर एक्स्ट्रा डिस्काउंट देकर लोगों को अपनी दूकान की और आकर्षित कर सकता है।

तो थोड़ा सा दिमाग पर ज्यादा जोर डालिये और कर दिखाईये वो काम जो सबसे बिलकुल अलग हो।

नहीं बदलने का मतलब है आप उस चीज़ से खुश हैं!

जैसा कि ऊपर भी मैंने कहा कि बदलाव ही प्रकृति का नियम है। पर अगर आप बदलाव नहीं लाते हैं तो इसका साफ़ मतलब यही है कि आप उस हालात या समस्या से खुश हैं!

उदाहरण के लिए: एक आदमी है जिसका वजन थोड़ा ज्यादा है और उसे डॉक्टर ने कह रखा है, कि अगर वजन कम नहीं किया तो तुम्हें कई बीमारियां हो सकती हैं! फिर भी अगर वो व्यक्ति अपने वजन को कम करने के लिए कोई प्रयास कर ही नहीं रहा है तो इसका साफ मतलब यही है कि वो उस बात के लिए ओके है कि ठीक है हो गयी तो हो गयी बीमारी!

केवल वजन ही नहीं बल्कि कई चीज़ें हैं जैसे बुरी आदतों, टॉक्सिक लोगों से दूरी बनाने के लिए भी ये बात लागू होती है। अगर आप दूरी नहीं बना सकते या आदत नहीं बदल सकते तो इसका मतलब ये है कि आप अपने जीवन से खुश हैं! उन समस्याओं के साथ आप खुश हैं!

अपनी अहमियत को पहचानिये

जब तक आप अपनी वास्तविक कीमत नहीं जानेंगे तब तक आप स्वयं को तुच्छ ही समझेंगे और दूसरों को महान ही समझते रहेंगे। आपको स्वयं पर भरोसा करके प्रयास करने होंगे। इसके लिए आपको यह भी चाहिए कि आप दूसरों की बातों में न आएं और नेगेटिविटी से दूर रहें।

उदहारण के लिए: राजू एक अच्छा बिजनेसमैन बन सकता था लेकिन उसके साथियों ने हमेशा उसे यही कहा कि बिज़नेस में क्या रखा है? नौकरी कर, नौकरी में सिक्योरिटी है और तू बिज़नेस नहीं कर पायेगा। देख कितने बिज़नेस फ़ैल हो रहे हैं! ऐसे में राजू बस अपनी 9 टू 5 वाली जॉब ही करता रह गया।

अब राजू अगर चाहता, खुद से प्रयास करता और दूसरों की बातों में नहीं आता तो शायद बिजनेसमैन बन सकता था? उसने कभी अपनी अहमियत समझी ही नहीं और दूसरों के कहने पर ही काम करता चला गया।

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Shubham Jadhav
शुभम एक प्रोफेशनल कंटेंट एवं कॉपी राइटर हैं जो ग्राफ़िक्स डिज़ाइन, SEO और डिजिटल मार्केटिंग का भी ज्ञान रखते हैं। शुभम 11 सालों से इसी फील्ड में कार्यरत हैं, इन्होंने टेक्नोलॉजी, एंटरटेनमेंट, गैजेट्स एवं अन्य अलग-अलग विषयों पर अपने विचारों को ब्लॉग पोस्ट्स में पिरोया है। हायर एजुकेशन के साथ ही वे डिजिटल दुनिया से जुड़ चुके थे और इसी को उन्होंने अपना पैशन बनाया। इन्होने विक्रम विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। अपने कुछ व्यक्तिगत अनुभवों को मद्देनज़र रखते हुए और मेंटल हेल्थ अवेयरनेस को बढ़ावा देने के लिए भूमिका गेहलोत एवं नितेश हरोड़े के साथ मिलकर उन्होंने सुकूनमंत्रा को शुरू किया।

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