हमारी मेंटल हेल्थ और फिजिकल हेल्थ एक दुसरे के पूरक हैं। अगर इन दोनों मे से एक भी प्रभावित होता है तो स्वतः ही दूसरी हेल्थ भी प्रभावित होने लगती है। यह दोनों आपस में कनेक्टेड हैं और अगर आपकी मेंटल हेल्थ किन्ही कारणों से पीड़ित है तो आपको फिजिकल हेल्थ पर इसका बुरा असर दिखने लगता है, जैसे- पाचन का बिगड़ना, सिर दर्द, उल्टी आना, जी मिचलाना, सीने में दर्द, अनिंद्रा आदि। जिस कारण आपका वजन भी अनियंत्रित हो जाता है और आपकी इम्युनिटी भी कमजोर हो जाती है, और आपको अन्य शारीरिक बीमारियाँ हो सकती है। मुख्य रूप से एंग्जायटी, डिप्रेशन, और कई तरह के डिसऑर्डर मानसिक रोग के प्रमुख प्रकार हैं जो आपके निजी जीवन पर गहरा असर डालते हैं। एक स्ट्रेस्ड या डिप्रेस व्यक्ति अकेले समय बिताने लगता है, हर समय उदास रहता है, किसी भी कार्य में रुचि नही रहती है तथा अत्यधिक गुस्से वाला बन जाता है।
हमारे समाज में मानसिक बीमारियों को एक अलग नज़रिये से देखा जाता है। यदि आप किसी सायकोलॉजिस्ट के पास जाने की बात ही कह दें तो लोग बोलेंगे आप पागल हैं! इसीलिए मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स से जूझ रहा कोई भी व्यक्ति इस बारें में स्वतंत्र रूप से बात नही कर पाता है और समय के साथ उसकी यह समस्या बढ़ने लगती हैं। समाज को मानसिक बीमारियों को भी शारीरिक बीमारियों की तरह देखने की आवश्यकता है। सरकार को भी इन मानसिक विकारों को ले कर जागरूकता बढ़ाना चाहिए ताकि देश में मेंटल हेल्थ के साथ खराब हो रही फिजिकल हेल्थ को भी रोका जा सके। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अपनी स्वास्थ्य की परिभाषा में शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी शामिल करता है। आंकड़ों के अनुसार भारत देश में 15 से 29 वर्ष के लोगों की मृत्यु का सबसे बड़ा कारण आत्महत्या है।
यदि आप स्ट्रेस में है या किसी भी प्रकार के मानसिक विकार से ग्रस्त है तो आपके लिए कुछ सुझाव है, जिनके द्वारा आप आपकी मानसिक स्थिति को सुधार सकते हैं, जिससे आपका तनाव भी कम हो जाएगा और आपकी फिजिकल हेल्थ पर भी सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेंगे।
- प्रतिदिन व्यायाम करें।
- अकेले न रहें।
- अपनी समस्याओ को दोस्तों के साथ साझा करें।
- संतुलित भोजन करें।
- नशे से दूर रहें।
- मनोरंजक कार्यक्रमों में समय व्यतीत करें।
- अगर ज्यादा तकलीफ हैं तो Doctor से सम्पर्क करें।
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