बाइपोलर डिसऑर्डर क्या है

बाइपोलर डिसऑर्डर का नाम अधिकांश लोगो ने सुना होगा लेकिन इसके बारे में ठीक से काफी लोगों को पता नहीं है। अगर आप इस बाइपोलर डिसऑर्डर के बारे में जानना चाहते हैं तो इस आर्टिकल में आपको बाइपोलर डिसऑर्डर क्या है व इससे जुड़ी प्रमुख जानकारियां मिल जाएंगी।

बाइपोलर डिसऑर्डर क्या है?

बाइपोलर डिसऑर्डर एक प्रकार की मानसिक बीमारी है। इस बीमारी में व्यक्ति कई दिनों तक या फिर महीनों तक उदास या फिर खुश महसूस करता है। इस बीमारी में व्यक्ति का स्वभाव कुछ दिनों के लिए स्थिर हो जाता है। इस समय में वह उदास रह सकता है या फिर अत्यधिक ऊर्जावान महसूस कर सकता है, बाहरी परिस्थिति का उसके स्वभाव पर ज्यादा असर देखने को नहीं मिलता है। इस डिसऑर्डर का कारण अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है पर मस्तिष्क में आये किसी प्रकार के बदलाव के कारण यह विकार उत्पन्न होता है। व्यक्ति का स्वभाव कई कारकों पर निर्भर करता है पर यदि मस्तिष्क परिस्थिति के अनुरूप प्रतिक्रिया देने में असमर्थ है तो व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव देखा जा सकता है।

यहां क्लिक कर सुकूनमंत्रा के WhatsApp Channel से जुड़िये।

बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रस्त व्यक्ति जब अत्यधिक खुश रहता है तो उसके व्यवहार में अत्यधिक ऊर्जा, सम्मान की इच्छा का भाव उत्पन्न हो जाता है। उसकी नींद में भी कमी हो सकती है और जोखिम लेने की क्षमता भी बढ़ जाती है, इस बीमारी में यही व्यक्ति कुछ समय बाद उदास तथा अकेला रहने लगता हैं। यह बीमारी लम्बे समय के लिए स्थिर रह सकती है जिसमे एक लम्बे अन्तराल के बाद भी मूड स्विंग होना शामिल है। जिन्हें आप उपचार के माध्यम से ठीक कर सकते है। आमतौर पर साल में ३ से ४ मूड स्विंग होते हैं जिस वजह से व्यक्ति के रिश्तो पर भी इसका प्रभाव देखा जाता है।

बाइपोलर डिसऑर्डर में भावनाएं कभी उच्च होती है तथा कभी कम होती है, इन दोनों चरणों में उन्मत्त चरण के दौरान के व्यक्ति बड़ी हुई ऊर्जा के साथ समय व्यतीत करता है तथा अवसादग्रस्तता चरण में उदास, ध्यान न लगने, अनियंत्रित भूख तथा नींद का सामना करता है तथा आत्महत्या के विचार आने लगते हैं। द्विध्रुवी विकार वाले व्यक्तियों के मस्तिष्क की संरचना और कार्य में अंतर हो सकता है, विशेष रूप से मूड स्विंग जैसे क्षेत्रों में। संज्ञानात्मक-व्यवहार थेरेपी (सीबीटी) और इंटरपर्सनल थेरेपी (आईपीटी) सहित मनोचिकित्सा भी द्विध्रुवी विकार के प्रबंधन में प्रभावी हो सकती है।

इस बीमारी के निदान के लिए उपचार, दवा, चिकित्सा और जीवनशैली में बदलाव शामिल होते हैं। इस बीमारी को कई प्रकारों में बाटा गया है जिन मेसे मुख्य कुछ इस प्रकार है –

  • bipolar I disorder,
  • bipolar II disorder,
  • cyclothymic disorder आदि,

यह भी पढ़ें:

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here