इलनेस एंग्जायटी डिसऑर्डर

हेल्थ एंग्जायटी एक ऐसी मानसिक समस्या है जो न केवल आपके मन में किसी बिमारी के होने का डर पैदा करती है बल्कि आपकी दिनचर्या, प्रोडक्टिविटी और जीवन के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं को भी प्रभावित करती है। इसे हाइपोकॉन्ड्रियासिस (Hypochondriasis), सोमेटाइजेशन डिसऑर्डर (Somatization Disorder) और इलनेस एंग्जायटी डिसऑर्डर (Illness Anxiety Disorder) के नाम से भी जाना जाता है। आज यही हमारी चर्चा का विषय है… हम आपको बताएंगे कि हेल्थ एंग्जायटी क्या है? इसके लक्षण क्या-क्या हैं और किस तरीके से आप इससे बच सकते हैं, इसके उपचार क्या हैं और आपके किसी अपने के साथ ये समस्या है तो कैसे आप उनकी केयर कर सकते हैं?

डर लगना एक आम बात है और खुद के स्वास्थ्य के लिए चिंता करना भी सामान्य ही है। लगभग हर किसी को हेल्थ एंग्जायटी कभी न कभी हो सकती है। लेकिन इसका ज्यादा बढ़ जाना और एक डिसऑर्डर का रूप ले लेना काफी बुरा हो सकता है। हमने कुछ सामान्य लोगों से बातें की और पूछा कि क्या कभी उन्हें भी हेल्थ एंग्जायटी हुई है? और ये थे उनके जवाब…

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मेरे पड़ोसी के सर में दर्द रहता था… उन्होंने इसे कई छोटे मोटे डॉक्टर्स को दिखाया, दवाई लेने पर ठीक हो जाता लेकिन बाद में समस्या बनी रही। फिर जब सही डॉक्टर के पास पहुंचे और जांच करवाई तो पता लगा कि उन्हें ब्रेन ट्यूमर है और अब बहुत देर हो चुकी है! उसके कुछ समय बाद से मुझे भी सर दर्द जैसा लगता है और डर लगता है कि कहीं मेरे सर दर्द का कारण भी यही तो नहीं? लेकिन हाँ मुझे पता है ये बस मेरा भ्रम, मेरा पागलपन है और कुछ नहीं!

– Anonymous

ऐसा मेरे साथ कोरोना के समय हुआ था। मेरे एक दोस्त की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी थी और फिर कुछ दिनों बाद मुझे भी खांसी, सर्दी हो रही थी और एक दिन तो खुशबू भी नहीं आ रही थी! रोज़ रोज़ टीवी और सोशल मीडिया पर यही न्यूज़ और सिम्पटम्स देखकर मैं भी डर गया था और कई बार तो नींद में अचानक ऐसा लगता कि सांस लेने में तकलीफ जैसी हो रही है। मैंने सोचा कहीं मुझे कोरोना तो नहीं हो गया? फिर टेस्ट करवाया और सब कुछ नॉर्मल निकला तब जाकर मुझे अच्छा महसूस हुआ और मजे की बात तो ये है कि रिपोर्ट आने के बाद ही खुशबू भी आने लग ही गयी!

– Anonymous

एकबार मुझे सीने में थोड़ा दर्द हो रहा था। मैंने इंटरनेट पर इसके बारे में पढ़ा, और मुझे डर लगने लगा कि कहीं ये हार्ट अटैक जैसा कुछ तो नहीं? थोड़ी देर सो गयी पर फिर भी दर्द ऐसे ही हो रहा था। फिर डॉक्टर को दिखाया तो पता लगा ये गैस की वजह से हो रहा था। डॉक्टर की ये बात सुनकर ही दिमाग से डर तो चला ही गया, दर्द कम भी हो गया और दवाई लेने के थोड़े चंद मिनटों बाद ही मैं ठीक हो गयी।

– Anonymous

इलनेस एंग्जायटी डिसऑर्डर क्या है?

सामान्य भाषा में यदि हम समझें, तो एंग्जायटी किसी बात या परिस्थिति के लिए डर, चिंता या बेचैनी की भावना है। अगर यही एंग्जायटी आपको अपनी हेल्थ को लेकर हो, तो इसे हेल्थ एंग्जायटी कहा जाता है। हेल्थ एंग्जायटी में व्यक्ति इस बात को लेकर ओवरथिंक करने लगता है या चिंतित रहने लगता है कि उसे कोई गंभीर बिमारी हो गयी है या फिर हो सकती है!

इसके अलावा नॉर्मल बॉडी सेन्सेशनस जैसे किसी अंग का फड़कना या फिर किसी बिमारी के छोटे-मोटे सिम्पटम्स दिखाई देने पर भी उसे डर लगता है कि कहीं कोई गंभीर बीमारी तो नहीं हो गयी? इस प्रकार के अनुभव और अत्यधिक चिंता न केवल आपकी जीवनशैली को प्रभावित कर सकते हैं बल्कि भविष्य में इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। यदि यह एंग्जायटी बढ़ने लगे और एक लॉन्ग-टर्म कंडीशन बन जाए तो यह एक डिसऑर्डर का रूप ले लेती है।

पहले इसे हाइपोकॉन्ड्रियासिस (Hypochondriasis) या हेल्थ एंग्जायटी कहा जाता था। परन्तु 2013 में प्रकाशित डायग्नोस्टिक और स्टैटिस्टिकल मैनुअल ऑफ मेंटल डिसऑर्डर्स (DSM-5) में इसे इलनेस एंग्जायटी डिसऑर्डर का नाम दिया गया।

इलनेस एंग्जायटी डिसऑर्डर के लक्षण

  • चिंता रहती है कि आपको कोई गंभीर बिमारी तो नहीं हो गयी या फिर होने वाली है?
  • छोटे-मोटे सिम्पटम्स गंभीर बिमारी के लक्षण लगते हैं।
  • हर समय स्वास्थ्य की चिंता लगी रहती है।
  • बार-बार ये चेक करना कि कहीं आपको किसी बिमारी के लक्षण तो नहीं है?
  • यदि आपके परिवार में किसी को कोई बिमारी है तो बार बार इसीको लेकर चिंतित रहना कि कहीं वो आपको तो नहीं हो जाएगी?
  • लोगों से दुरी बनाने की कोशिश करना क्यूंकि आपको लगता है उनसे आपको कोई बिमारी लग जायेगी।
  • छोटा सा भी कुछ फोड़ा-फुंसी हो जाये या कुछ अजीब सा लगे तो बार-बार इंटरनेट पर चेक करना कि ये कौनसी बिमारी का लक्षण है।
  • बार-बार डॉक्टर के पास जाना, टेस्ट करवाना कि कहीं आपको कोई गंभीर बिमारी या जिस बिमारी के बारे में आप सोचते रहते हैं वो हो तो नहीं गयी?
  • डॉक्टर के कहने पर या टेस्ट रिजल्ट्स नेगेटिव आने पर भी संतुष्ट न होना।
  • बार-बार अपनी हेल्थ कंडीशन या किसी बिमारी के होने की संभावना के बारे में बात करना।
  • संभावित बीमारियों के बारे में इतना परेशान होना कि आपके लिए काम करना मुश्किल हो जाए।
  • इस बात से डरना कि नार्मल बॉडी सेंसेशंस की वजह भी तो कहीं किसी गंभीर बिमारी का संकेत तो नहीं?
  • सरदर्द, शरीर के किसी हिस्से में दर्द या पसीना आने पर भी बहुत ज्यादा जागरूक हो जाना और चिंता करना कि ये कोई बिमारी के वजह से तो नहीं?

इलनेस एंग्जायटी डिसऑर्डर के कारण

वैसे तो इलनेस एंग्जायटी डिसऑर्डर के सटीक कारणों के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है। लेकिन निचे दिए कुछ कारण हैं जो ऐसी स्थिति को बढ़ावा देने में मुख्य भूमिका निभा सकते हैं।

  • बचपन से कोई इलनेस हिस्ट्री का होना
  • परिवार में किसी प्रियजन या रिश्तेदार की गंभीर बिमारी को देखना और उसकी वजह से किसी प्रकार का ट्रॉमा हो जाना।
  • किसी अन्य मेन्टल हेल्थ कंडीशन जैसे एंग्जायटी या डिप्रेसिव डिसऑर्डर की वजह से।
  • बचपन में किसी ट्रॉमा, एब्यूज या प्रॉपर केयर न मिलने के कारण।
  • किसी ऐसे सिम्प्टम का होना जो किसी गंभीर बिमारी की ओर संकेत करता हो।
  • नार्मल बॉडी सेंसेशंस महसूस होते हैं तब अनकम्फर्ट महसूस करना।
  • इंटरनेट पर बार-बार सिम्पटम्स और बीमारियों के बारे में सर्च करने के कारण।

इलनेस एंग्जायटी डिसऑर्डर के प्रकार

इलनेस एंग्जायटी डिसऑर्डर से ग्रसित लोग दो प्रकार के होते हैं।

केयर सीकर

इस टाइप के लोग हमेशा अपने दोस्तों या फॅमिली मेंबर्स से अपने इस डर के बारे में बात करते रहते हैं। ये लोग अपने लिए ज्यादा केयर चाहते हैं और इन्हें हर थोड़े समय में ये आश्वासन चाहिए होता है कि हाँ वे ठीक हैं। इसी कारण वे नियमित रूप से डॉक्टर्स से चेकअप करवाते हैं या टेस्ट्स करवाते रहते हैं।

केयर से बचने वाले

ये वे लोग हैं जिन्हें लगता है कि अगर उन्होंने कोई टेस्ट करवाया या डॉक्टर को बताया तो हो सकता है कि इन्हें कोई बुरी खबर सुनने को मिल जाए? हो सकता है ये जो सोच रहे हैं वो बिमारी इन्हें सच में हो? इसीलिए ये लोग अपनी भावनाओं को न तो दोस्तों रिश्तेदारों से शेयर करते हैं और साथ ही ये डॉक्टर्स के पास जाने से और टेस्ट कराने से बचने का प्रयास करते हैं।

उपचार

यदि हम बात करें इलनेस एंग्जायटी डिसऑर्डर के उपचार की, तो शोधों के अनुसार इसका इलाज संभव है लेकिन ट्रीटमेंट का प्रकार डिसऑर्डर की वर्तमान स्थिति पर निर्भर करेगा। इसके उपचार के लिए CBT यानि कॉग्निटिव बिहेवरल थेरेपी (Cognitive behavioral therapy) का मुख्य तौर पर उपयोग किया जाता है। इस थेरेपी में पीड़ित व्यक्ति को एंग्जायटी को मैनेज करने के बारे में सिखाया जाता है। इसके अलावा कंसल्टैंट दवाइयां भी सुझा सकता है।

कैसे करें अपनों की केयर?

यदि आपके किसी अपने को हेल्थ एंग्जायटी की समस्या है तो आप उनसे बातचीत करके, उन्हें ये बताकर की आप उनके साथ हैं और आप उन्हें समझते हैं तथा उनकी बातों को ध्यान से सुनकर उन्हें रिलैक्स महसूस करवा सकते हैं। जब भी उन्हें ऐसा लगे कि कोई नया सिम्प्टम नजर आ रहा है या वे बैचैन सा महसूस करें तब उनसे अपनापन जताएं और उनको सुनें और उचित सलाह दें। यदि वह केयर सीकर टाइप है तो उनकी केयर करें और यदि वे केयर अवॉयड करने वाले हैं तो उन्हें समझाएं कि किस तरह से चेकअप करवाकर या टेस्ट लेकर भी वे अपनी इस चिंता से उभर सकते हैं।

यह भी पढ़ें:

Sources:

https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/illness-anxiety-disorder/symptoms-causes/syc-20373782
https://www.verywellmind.com/hypochondriasis-2671689
https://my.clevelandclinic.org/health/diseases/9886-illness-anxiety-disorder-hypochondria-hypochondriasis

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