The Impact of Climate Change on Mental Health

पृथ्वी पर क्लाइमेट चेंज का सबसे बड़ा कारण जनसंख्या में वृद्धि है। जिस तरह जनसंख्या में वृद्धि हो रही है मानवों की आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति करने में समस्याएँ उपन्न हो रही है तथा भविष्य में यह समस्या और भी बढ़ने वाली है। इस क्लाइमेट चेंज की वजह से हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर हो रहा है जिस कारण मानसिक समस्याएं भी जन्म ले रही हैं और मानिसक रोगियों की संख्या में भी वृद्धि देखी जा सकती है। यह अनुमान लगाया गया है कि औसत तापमान में 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि मौतों में 2.2 प्रतिशत की वृद्धि का कारण हो सकता है। जलवायु परिवर्तन की वजह से नमी और तापमान दोनों में बदलाव आ रहा है, जिससे बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों को ज्यादा परेशानी हो रही है। जिससे रोगी को मनोविकृति और आत्मघाती विचारों के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ रहा है। गर्मी की समस्या भी इलाज में बाधा बनती है। गर्मी के कारण काम करने की क्षमता पर भी प्रभाव पड़ता है और उत्पादन तथा निर्माण में भी कमी आती है। क्लाइमेट चेंज से हीट वेव का लेवल बड़ता है और AC, Fan, Cooler का उपयोग बड़ता है। जिस कारण इलेक्ट्रिसिटी की खपत में भी बढोत्तरी होती है, क्लाइमेट चेंज के कारण बड़ते हीट वेव के लेवल से जीव-जन्तु भी काफी प्रभावित होते हैं।

The Impact of Climate Change on Mental Health: जलवायु परिवर्तन एक समस्या है क्योंकि मौसम इस तरह से बदल रहा है जिससे यह प्रभावित हो सकता है कि हम कितना भोजन उगा सकते हैं? कितने लोगों तक उसे पहुंचाकर उनकी भूख मिटा सकते हैं, कितना काम कर सकते हैं। आवश्यकतों की पूर्ति न होने पर मानसिक तनाव बढ़ सकता है अगर लोग अपने परिवार को जरुरी भोजन नहीं दे सकेंगे तो उनके शारीरिक स्वास्थ पर प्रभाव होना लाजमी है। साथ ही तापमान में वृद्धि हमारे स्वभाव में भी परिवर्तन कर सकती है। जिससे चिड़चिड़ापन, अवसाद समस्याएँ जन्म लेती हैं। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि 2030 और 2050 के अंत तक हर साल 250,000 मौतों के लिए जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार हो सकता है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार, गर्मी के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल परिणाम हो सकते हैं। जैसे कि आत्महत्या, मानसिक विकार, चिंता, अवसाद, तनाव और मनोरोग अस्पतालों में अधिक रोगियों का आना।

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एक नए अध्ययन में पाया गया कि जलवायु परिवर्तन खराब मानसिक स्वास्थ्य के प्रमुख कारकों में से एक है। शोधकर्ताओं का मानना ​​​​है कि मौसम की स्थिति जैसे कि गर्म तापमान और अधिक लगातार तूफान, लोगों के लिए कठिन समय का अनुभव करवाता है। इससे भविष्य में मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और लोगो की मेंटल हेल्थ खराब हो सकती है। WHO की रिपोर्ट में कहा गया है कि तापमान और बारिश का अनियंत्रित होना कई प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न करता है और इन्ही मौसमों में लोग सबसे ज्यादा वायरस से संक्रमित भी होते हैं।

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एनवायर्नमेंटल रिसर्च एंड पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित किया गया है कि जलवायु परिवर्तन या पर्यावरण में परिवर्तन खराब मानसिक स्वास्थ्य के प्रमुख कारकों में से एक है। शोधकर्ताओं का कहना ​​है कि जलवायु परिवर्तन आने वाले वर्षों में सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य सम्बन्धित कठिनाई का मुख्य कारण रहने वाला है, और मानसिक स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव अधिक नकारात्मक तरीके से सामने आएगा। इसके अलावा बढ़ते तापमान और आत्महत्या की घटनाओं के बीच भी एक संबंध है।

क्लाइमेट चेंज को काबू करने के उपाय

  • निजी वाहन से अधिक सार्वजनिक वाहन का उपयोग करे।
  • प्रदुषण न फेलाएं।
  • शाकाहारी बनें, मांस का सेवन न करें।
  • इलेक्ट्रिसिटी का उपयोग कम से कम करें।
  • पेड़ लगाएं।
  • भोजन को बर्बाद न करें।
  • खास कर वायु प्रदूषण न करें।

इसके अलावा सरकारों को फिजिकल हेल्थ की ही तरह मेंटल हेल्थ के उपायों पर भी कार्य करना चाहिए। यदि मेंटल हेल्थ अवेयरनेस को जल्द से जल्द नहीं बढ़ाया गया तो आगे बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

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