मेंटल हेल्थ पर बातचीत शुरू करने के लिए ये 5 टिप्स

कई लोग मेंटल हेल्थ के खराब होने के कारण अनेकों परेशानियों का सामना कर रहे हैं। लेकिन इसके बारे में कोई बात नहीं करना चाहता। क्यूंकि कई लोग या तो इसे सिरे से नकार देते हैं या फिर इसे पागलपन कहकर पागलखाने में भर्ती हो जाओ जैसी बातें कहने लगते हैं। पर इस विषय पर बात करना बेहद जरुरी है और यह किसी भी प्रकार से शर्मिंदगी का विषय नहीं है। कोई भी व्यक्ति मानसिक रूप से हो सकता है या किसी मानसिक विकार से पीड़ित हो सकता है। यह किसी भी प्रकार से आपके पागल होने को नहीं दर्शाता है। यह केवल मस्तिष्क की कुछ रासायनिक क्रियाओं और संरचना में बदलाव के कारण हो सकता है। मानसिक स्वास्थ्य के बारें में न बताने के गम्भीर परिणाम भी हो सकते हैं, शुरुआत में ही लक्षणों की पहचान कर उनके निदान के लिए डॉक्टर का परामर्श लेने से मानसिक रूप से आ रही परेशानियों से बचा जा सकता है।

मानसिक बीमारियों के कई प्रकार होते हैं तथा हर मरीज में इसका स्तर अलग-अलग हो सकता है। डिप्रेशन, बायपोलर डिसऑर्डर, मनोदशा विकार (Mood disorder), ज्ञानात्‍मक विकार (Cognitive disorders), शाइज़ोफ्रेनिया, द्रव्‍य संबंधी विकार मानसिक विकारों में प्रमुख हैं। इन विकारों से पीड़ित व्यक्ति सामान्य व्यक्ति की तुलना में अधिक संवेदनशील, उदास, असहाय महूसस करने लग सकता है। कई परिस्थितियों में खुद को डरा हुआ महसूस करता है, आसान से कार्य को करने में विफल रहता है, अजीब सा व्यवहार करता है, अकेला रहना पसंद कर सकता है, खुद को या दुसरो को नुकसान पहुंचा सकता है आदि।

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अगर मेंटल हेल्थ जैसे विषय खुल कर बात की जाये तो इन विकारों से ग्रसित लोगों की संख्या में कमी आ सकती है। पर समाज इसे एक अलग प्रकार से देखता है तथा मेंटल हेल्थ इशू से गुजर रहे व्यक्ति की तुलना किसी पागल व्यक्ति से करता है जिस कारण मानसिक रूप से पीड़ित व्यक्ति अपनी समस्याओ को खुले रूप से बताने में झिझक महसूस करता है।

यदि आप मानसिक रूप से परेशान है तो आपको अपनी मेंटल हेल्थ पर बातचीत शुरू करने की कोशिश करना चाहिए, वरना यह समस्या और गंभीर हो सकती है, जिस कारण आपका जीवन बहुत हद तक प्रभावित हो सकता है। आइये जानते हैं उन टिप्स के बारें में जिनका उपयोग कर आप अपनी मेंटल हेल्थ पर बातचीत शुरू कर सकते हैं। आज हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे कि किस प्रकार से मेंटल हेल्थ का टॉपिक निकाल कर आप इस पर बात कर सकते हैं। इसे हमने दो भागों में बांटा है। 1) खुद की मेंटल हेल्थ के बारें में कैसे बताएं? 2) किसी साथी की मेंटल हेल्थ पर बातचीत कैसे शुरू करें?

खुद की मेंटल हेल्थ के बारें में कैसे बताएं?

यदि आप स्वयं मानसिक तौर पर परेशान हैं तो आप निचे दी हुई टिप्स के आधार पर इस विषय पर बात कर सकते हैं।

सही मौका देखें

भारत में मेंटल हेल्थ को इतना महत्व नही दिया जाता है इसीलिए इस पर बात करने के लिए आपको मौके की तलाश करना होगी। वरना आपके साथ वाले या परिवार वाले आपकी बातों को गम्भीरता से नही लेंगे या फिर नजरंदाज कर देंगे, या फिर यह भी हो सकता है कि वह आपकी समस्या को कम आंके और आपकी समस्या को सुनने की जगह अपनी समस्याओ का वर्णन करने लगे। ऐसे में आप अपनी मेंटल हेल्थ के बारे में बताने से चुक सकते हैं। सही मौके का अर्थ है कि ऐसे समय में अपनी समस्याओ को बताने की कोशिश करें जब सामने वाला व्यस्त न हो और आपसे बात करने के लिए एक अच्छी परिस्थिति में हो। यदि सामने वाला आपके लिए अत्यधिक प्रिय है और आपकी हर बात सुनने के लिए तत्पर है तो आप बिना मौका देखे भी उन्हें इस बारे में अवगत करवा सकते हैं।

डरे नहीं

यदि आप मेंटल हेल्थ को लेकर बात करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको अपने मन से डर को ख़त्म करना होगा वरना आप कभी भी मेंटल हेल्थ को लेकर किसी से भी बात नही कर सकेंगे। इससे न डरें कि सामने वाला क्या सोचेगा? या वह आपकी मदद करेगा कि नही? इस प्रकार की ओवर थिंकिंग आपको बातचीत करने से रोक सकती है। बातचीत शुरू करने से पहले ज्यादा न सोचे।

सरल भाषा का प्रयोग करें

अपनी बात को सरल शब्दों के साथ कहने की कोशिश करें ताकि सामने वाला आपकी समस्या को अच्छे से समझ सके और आपकी मदद कर सके। यदि आप घुमा फिरा कर या कठिन शब्दों का उपयोग कर अपनी मेंटल हेल्थ को लेकर बातचित करेंगे तो आपका साथी भ्रमित हो सकता है। जिस कारण आपकी मेंटल हेल्थ को लेकर की गयी बातचीत का कोई उचित परिणाम नही निकलेगा।

कुछ न छिपाएँ

एक बार बातचीत शुरू हो जाए उसके बाद आप जिस किसी के साथ भी अपनी मेंटल हेल्थ को लेकर बातचीत कर रहे हैं उससे कुछ भी ना छिपाएँ। ऐसा करने से सामने वाले का भविष्य में आप पर से विश्वास भी उठ सकता है और आपकी छुपाई गयी समस्या का निदान भी होने की सम्भावना घट सकती है। इसीलिए बातों को छुपाने से बचें तथा खुलकर अपनी सभी मानसिक समस्याओं को सामने वाले को बताने की कोशिश करें।

मदद मांगें

आप जिनसे बात कर रहे हैं उन्हें सब कुछ बताने के बाद आप उनसे सहायता मांगने में बिलकुल न हिचकिचाएं। अगर आपको किसी चीज़ की जरूरत है तो कह कर देखिये? हो सकता है सामने वाला आपकी मदद कर दे? आपकी समस्या का समाधान हो जाए?

किसी साथी की मेंटल हेल्थ पर बातचीत कैसे शुरू करें?

यदि आपका कोई मित्र, लाइफ पार्टनर या घर में कोई सदस्य परेशान है और आपको लगता है कि उसे कोई तनाव, डिप्रेशन या कोई मानसिक समस्या हो सकती है तो आप कुछ इस प्रकार से उनसे इस विषय पर चर्चा कर सकते हैं –

कंफर्टेबल लोकेशन चुनें

अगर आपको लगता है कि आपका कोई साथी मानसिक समस्याओं से घिरा हुआ है तो उससे बातचित करने की कोशिश करें। बात शुरू करने के लिए सबसे पहले कंफर्टेबल लोकेशन चुनें, जहाँ वह व्यक्ति अपने मन की सारी बातें कह सके और उसे आपसे बात करने में किसी भी प्रकार की हिचक महसूस न हो। आप ऐसी लोकेशन चुन सकते हैं जहां किसी के अचानक आने का डर न हो, कोई भी ऐसा व्यक्ति न हो जिस पर पीड़ित भरोसा नहीं करता हो। अधिकतर लोग अपने माता-पिता से ज्यादा दोस्तों को मन की बात बताना उचित समझते हैं। इसके लिए दोस्तों का साथ लेने की कोशिश करें।

विषय को सामान्य बनाएं

सबसे पहले सामने वाले को कम्फर्ट जोन में लाने की कोशिश करें। सामान्य प्रश्नों से शुरुआत करें जैसे आज कल आप कैसे हैं?, मुझे लगता है आपको किसी प्रकार की समस्या हैं? क्या मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ? आदि। जब सामने वाला उसकी बात रखे तब उसकी बातों को सामान्य रह कर सुनने की कोशिश करें और उसे बीच में न रोके न ही उसे गलत ठहराने की कोशिश करें, उसकी बातो पर सहमति देते रहें।

बिना जज किये सुने

जब वह व्यक्ति आपसे बात करे तो उस समय उसे जज करना उसके मनोबल को तोड़ने का काम करता है और वह आपसे जरुरी बातें छुपा सकता है। इसीलिए उसे जज करे बिना सुनना चाहिए, मानसिक रोगी का मनोबल बढ़ाने के लिए उसकी समस्या को पूरी तरह से सूनने के बाद अपनी प्रतिक्रिया दें। सलाह से अधिक सुझावों पर ध्यान देना चाहिए ऐसा करने से सामने वाले में सकारात्मकता का संचार होता है और वो आपकी उपस्थिति से ऊर्जावान महसूस कर सकता है।

भरोसा दिलाएं कि आप साथ हैं

मेंटल हेल्थ एक ऐसा विषय है कि ज्यादा लोग इस पर बात नहीं करते हैं इसीलिए अगर कोई भी व्यक्ति अगर मानसिक रूप से परेशान है तो वह अपनी समस्या को किसी को भी बताने से हिचकिचा सकता है। आपको मानसिक हेल्थ की बात शुरू करने से पहले पीड़ित को भरोसा दिलाना होगा कि वह आप पर पूरा भरोसा रख कर अपनी समस्याओ को बता सकता है, तथा उसे भविष्य में भी अगर मदद की जरूरत लगती है तो वह आपसे सहयोग मांग सकता है। ऐसे व्यक्ति का कभी भी मजाक न बनाएं और न ही उसकी अनुमति के बिना उसकी समस्याओ को किसी के साथ साझा करें। ऐसा करना आपके भरोसे को कम कर सकता है।

मदद की पेशकश करें

यदि आपको लगता है कि उसकी बात सुनकर आप किसी तरह उस व्यक्ति की मदद कर सकते हैं तो तुरंत मदद का हाथ बढ़ाइए और जितनी हो सके उनकी सहायता कीजिये। ऐसा करने से उनका मनोबल बढ़ेगा और वह व्यक्ति थोड़ा रिलैक्स फील करेगा।

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Shubham Jadhav
शुभम एक प्रोफेशनल कंटेंट एवं कॉपी राइटर हैं जो ग्राफ़िक्स डिज़ाइन, SEO और डिजिटल मार्केटिंग का भी ज्ञान रखते हैं। शुभम 11 सालों से इसी फील्ड में कार्यरत हैं, इन्होंने टेक्नोलॉजी, एंटरटेनमेंट, गैजेट्स एवं अन्य अलग-अलग विषयों पर अपने विचारों को ब्लॉग पोस्ट्स में पिरोया है। हायर एजुकेशन के साथ ही वे डिजिटल दुनिया से जुड़ चुके थे और इसी को उन्होंने अपना पैशन बनाया। इन्होने विक्रम विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। अपने कुछ व्यक्तिगत अनुभवों को मद्देनज़र रखते हुए और मेंटल हेल्थ अवेयरनेस को बढ़ावा देने के लिए भूमिका गेहलोत एवं नितेश हरोड़े के साथ मिलकर उन्होंने सुकूनमंत्रा को शुरू किया।

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