ओवेरस्पेन्डिंग की आदत भी कर सकती है आपकी मेंटल हेल्थ को ख़राब!

किसी भी काम को बार-बार दोहराने की क्रिया आदत कहलाती है। कई आदतें अच्छी होती हैं तो कई बुरी भी होती हैं। उदाहरण के तौर पर सुबह जल्दी उठना, काम को प्रायोरिटी देना, डिसिप्लिन में रहना अच्छी आदतें हैं और इसके विपरीत देर तक सोना, काम को टालना, अनुशासन का बिलकुल पालन न करना बुरी आदत है। वैसे तो लिस्ट लम्बी है लेकिन बुरी आदतों में एक आदत है अधिक खर्च यानि ओवरस्पेंडिंग की आदत। यही आदत आज का हमारा चर्चा का विषय है। इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि कैसे ओवरस्पेंडिंग आपका मानसिक स्वास्थ्य ख़राब कर सकती है और कैसे आप इस आदत को कंट्रोल कर सकते हैं।

क्या आप जानते हैं कि अधिक खर्च करने से भी आपके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है? जी हाँ! अक्सर लोग बिना सोचे समझे अनावश्यक चीज़ों पर खर्च करते रहते हैं और अपने मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।

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क्या है ओवरस्पेंडिंग?

खुद पर खर्च करना या अपने लिए साधनों को जुटाना कोई बुरी बात नहीं है। लेकिन अगर आप अपनी आय से अधिक खर्च करते हुए कोई वस्तु, सब्सक्रिप्शन, सेवा या संसाधन लेते हैं तो यह ओवरस्पेंडिंग कहलाता है। हाँ कभी-कभी यह चलता है जैसे जन्मदिन, त्यौहार, शादी या अन्य किसी अवसर पर शॉपिंग करते हुए ओवरस्पेंडिंग करना फिर भी ठीक है। लेकिन यदि आप अत्यधिक खर्च करते हैं और जिन चीज़ों की जरूरत नहीं है उन्हें भी खरीदें के आदि बन चुके हैं तो यह बहुत बुरी चीज है और आने वाले समय में इस आदत की वजह से आपको कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

क्यों लगती है ओवरस्पेंडिंग की लत?

ओवरस्पेंडिंग की लत कई कारणों से लग सकती है जिनमें से मुख्य कारण आगे दिए गए हैं।

केमिकल लोचा

आसान शब्दों में इसे समझने के लिए हम कह सकते हैं कि दिमाग में होने वाला केमिकल लोचा आपको ओवरस्पेंडिंग के लिए मजबूर करता है। थोड़ा टेक्निकल शब्दों का इस्तेमाल करें तो असल में ओवरस्पेन्डिंग का कारण है डोपामाइन। हमारा दिमाग नयी नयी चीज़ों को सिखने और उन्हें अडॉप्ट करने में माहिर है। जब दिमाग को यह समझ आ जाता है कि शॉपिंग करने से अच्छा महसूस होता है, कुछ समय के लिए सुकून मिलता है तो जब आप शॉपिंग करने के बारे में केवल सोचेंगे ही तो ही दिमाग डोपामाइन रिलीज़ कर देता है। डोपामाइन एक मोनोमाइन न्यूरोट्रांसमीटर है जो आपको इस सोच पर रिवॉर्ड करके फिरसे कुछ खरीदने के लिए मोटीवेट करता है।

इसके अलावा शॉपिंग एक फाइटिंग मैकेनिज्म की तरह भी काम करती है। यह एंग्जायटी, डिप्रेशन आदि से थोड़े समय के लिए निजात दिलाती है। इस वजह से लोग ओवर स्पेंडिंग करते हुए बाइंग-शॉपिंग डिसऑर्डर या कम्पलसिव शॉपिंग डिसऑर्डर – Compulsive Shopping Disorder (CSD) का शिकार बन जाते हैं।

Compulsive Shopping Disorder अभी भी एक नया विषय है जिसपर शोध प्रारम्भिक अवस्था में है। लेकिन आयोवा सिटी वेटरन्स एडमिनिस्ट्रेशन हॉस्पिटल के एसोसिएट चीफ ऑफ़ स्टाफ फॉर मेन्टल हेल्थ, डॉ. डोनाल्ड ब्लैक बताते हैं कि कम्पलसिव शॉपिंग का मुख्य कारण उन ब्रेन सर्किट्स में असंतुलन है जो कि सेल्फ-रेगुलेशन (आत्म-नियमन) और इम्पल्स कंट्रोल (आवेग नियंत्रण) में शामिल है।

वे कहते हैं “Compulsive Shopping Disorder वाले लोगों के मस्तिष्क के हिस्से जैसे न्यूक्लियस एक्यूमबेंस (nucleus accumbens) ठीक से एक्टिव नहीं होते हैं और इनका शार्ट टाइम के लिए प्लेजर देने वाली उत्तेजना पर नियंत्रण नहीं रहता है। यह नशे की लत के सामान ही है।”

ऑनलाइन शॉपिंग और एडवरटाइजिंग

फायनेंशियल थेरेपिस्ट केरी रैटल के अनुसार आज का समाज ओवरस्पेंडिंग की आदत को नजरअंदाज करना बहुत ही मुश्किल बना देता है। इसका सबसे मुख्य कारण है एडवरटाइजिंग! आज के समय में कंपनिया इस तरह से ऐड कैंपेन चलाती हैं कि व्यक्ति अनावश्यक चीज़ों को खरीदने से भी खुद को रोक नहीं पाता है तथा अपनी मेहनत की कमाई को बेवजह खर्च करता चला जाता है। ये विज्ञापन इंसान को सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि कोई वस्तु या सेवा खरीदने से उन्हें अच्छा महसूस होगा। क्रेडिट कार्ड और ऑनलाइन शॉपिंग भी ओवरस्पेंडिंग की लत लगाने के लिए जिम्मेदार हैं।

रैटल कहते हैं, “सोशल मीडिया, डिजिटल ट्रांजेक्शन्स, मार्केटिंग साइकोलॉजी का उपयोग करने वाले विक्रेताओं ने ओवरशॉपिंग को बढ़ावा दिया है।”

दूसरों से तुलना करना

लोगों से तुलना करना भी ओवरस्पेंडिंग को बढ़ावा देता है। उदाहरण के लिए पडोसी के यहां फ्रिज है तो हमारे यहां भी होना ही चाहिए या फिर पडोसी ने कार ली है और हम नहीं लेंगे तो लोग हमें उनसे निचा समझेंगे, इस तरह की सोच और तुलनात्मक स्वभाव ओवरस्पेन्डिंग का एक मुख्य कारण है। लोगों की लाइफस्टाइल और स्पेंडिंग हैबिट्स को कॉपी करना व अच्छा दिखने की होड़ आजकल अधिकतर लोगों का शौक बन गया है।

लोगों को खुश करने की कोशिश

लवर, दोस्तों या रिश्तेदारों को खुश करने की कोशिश और उनके सामने अपना स्टेटस ऊँचा दिखाने के चक्कर में भी लोग ओवरस्पेंडिंग के शिकार हो जाते हैं। इसके अलावा कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो दूसरों को निचा दिखाने के लिए उन्हें कंजूस कहकर या अन्य कोई अपमानजनित बातें कहकर या इमोशनली ब्लैकमेल करके भी अधिक खर्च करने पर मजबूर कर देते हैं।

कैसे ओवरस्पेंडिंग की आदत कर सकती है आपकी मेंटल हेल्थ को खराब?

जैसा कि हमने पहले भी बताया है, दिमाग रिवॉर्ड सिस्टम पर काम करता है और आपकी गतिविधियों के आधार पर डोपामाइन रिलीज़ करता है और मोटीवेट करता है कि आप उसी काम को दोबारा करें जिससे डोपामाइन रिलीज़ हो। ऐसे में जब आप दुखी होते हैं या आपका मूड ख़राब होता है या फिर तनाव में होते हैं तो आप उससे बाहर निकलने के लिए फिर से खरीददारी करने लगते हैं। क्यूंकि यहां आपका माइंड जानता है कि शॉपिंग करने से ख़ुशी मिलती है। ऐसे में उस थोड़ी सी थ्रिल, एक्साइटमेंट और ख़ुशी के चक्कर में आप ओवरस्पेंडिंग करने पर मजबूर हो जाते हैं।

जब आप कुछ खरीदने के बारे में सोचते हैं, ऑर्डर प्लेस करते हैं, उसे रिसीव करते हैं तब आपको बहुत अच्छा अनुभव होता है और फिर थोड़े समय बाद वह अनुभव फिर से चला जाता है! अब आप इसी प्रोसेस को दोहराने लग जाते हैं। आपको इसका एडिक्शन हो जाता है।

इसके अलावा यह भी हो सकता है कि आप अधिक खर्च करने के बाद शर्मिंदगी महसूस करने लगें। आपने जो किया उस पर आपको पछतावा हो। ऐसा करके आप अपनी मानसिक स्थिति को ख़राब कर लेते हैं।

कर्ज़ का बढ़ना

जब किसी को ओवरस्पेंडिंग की लत लग जाती है और उसके पास क्रेडिट कार्ड या ओवर ड्राफ्ट जैसी सुविधाएं होती है, तो वह उनका उपयोग करके खरीददारी करता चला जाता है। EMI बना लेता है! या फिर ये न होने पर दूसरों से उधार ले लेकर खरीददारी करता ही रहता है। ऐसे में यदि आय से अधिक खर्च हो रहा है तो एक दिन ऐसा जरूर आएगा जब वह कर्ज में डूब जाएगा।

और फिर कर्ज कर लेने के बाद उसको चुकाने का टेंशन, हर महीने की एक निश्चित तारीख को EMI भरने का टेंशन और फिर EMI भर नहीं पाते तो रिकवरी एजेंट्स भी मानसिक रूप से काफी परेशान कर देते हैं। ऐसे में न केवल तनाव बढ़ता है बल्कि समाज में बेइज्जत होने का भी डर बना रहता है।

किसी अवांछनीय समस्या का आ जाना

एक मध्यवर्गीय परिवार के पास आय के अनेक स्त्रोत नहीं होते हैं। जिस कारण उन्हें किसी एक स्तोत्र पर ही निर्भर रहना पड़ता है। यदि ऐसे में व्यक्ति अपने खर्चों पर ध्यान न दे तो उसे कई तरह की अवांछनीय समस्याओं का भविष्य में सामना करना पड़ सकता है। जैसे परिवार में किसी सदस्य का बीमार हो जाना, कोई बड़ा खर्च सामने आ जाना आदि। ऐसे में न केवल वह व्यक्ति बल्कि उसके परिवार के लोग भी टूटकर बिखर जाते हैं।

कैसे सुधारें अपनी आदत?

आप कई तरीकों से ओवरस्पेन्डिंग की आदत को सुधार सकते हैं जैसे :-

  • एक बजट बनाएं और उस पर टिके रहें।
  • अधिक खर्च करने वाले कारणों की पहचान करें।
  • मोबाइल से शॉपिंग एप्स को डिलीट करें।
  • क्रेडिट कार्ड का कम से कम इस्तेमाल करें।
  • अपने खर्च को नियंत्रित करने के लिए उस पर ध्यान केंद्रित करें जो आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण है।
  • यदि आप अत्यधिक खर्च करने की आदत या वित्तीय तनाव से जूझ रहे हैं तो किसी चिकित्सक या वित्तीय सलाहकार से सहायता लें।

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Shubham Jadhav
शुभम एक प्रोफेशनल कंटेंट एवं कॉपी राइटर हैं जो ग्राफ़िक्स डिज़ाइन, SEO और डिजिटल मार्केटिंग का भी ज्ञान रखते हैं। शुभम 11 सालों से इसी फील्ड में कार्यरत हैं, इन्होंने टेक्नोलॉजी, एंटरटेनमेंट, गैजेट्स एवं अन्य अलग-अलग विषयों पर अपने विचारों को ब्लॉग पोस्ट्स में पिरोया है। हायर एजुकेशन के साथ ही वे डिजिटल दुनिया से जुड़ चुके थे और इसी को उन्होंने अपना पैशन बनाया। इन्होने विक्रम विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। अपने कुछ व्यक्तिगत अनुभवों को मद्देनज़र रखते हुए और मेंटल हेल्थ अवेयरनेस को बढ़ावा देने के लिए भूमिका गेहलोत एवं नितेश हरोड़े के साथ मिलकर उन्होंने सुकूनमंत्रा को शुरू किया।

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